महाकाल मंदिर में व्यवस्थाएं किस हद तक बेपटरी हो चुकी हैं, इसका एक और उदाहरण रविवार तड़के भस्‍मारती के दौरान सामने आया। महाकाल मंदिर के गर्भगृह के पट खुलने से पहले ही दर्शनार्थियों को मंदिर के गणेश मंडपम में बैठा दिया था। इससे मंदिर के पुजारी नाराज हो गए।

 ज्‍योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में रविवार को परंपरा टूट गई। भगवान महाकाल की भस्‍मारती के दौरान यह घटना हुई। महाकाल गर्भगृह के पट खुलने से पहले ही भक्‍तों को मंदिर के नंदी हॉल और गणेश मंडपम में बैठा दिया गया। इससे पुजारी नाराज हो गए।

जानकारी के अनुसार रविवार सुबह चार बजे भस्‍मारती आरंभ होने से पहले ही महाकाल मंदिर प्रबंध समि‍त‍ि के कर्मचारियों ने श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश करवाकर मंदिर के नंदी हॉल और गणेश मंडपम में बैठा दिया।

ड्यूटी पर तैनात कर्मचारियों ने गर्भगृह के पट खुलने से पहले ही दर्शनार्थियों को गणेश मंडपम में बैठा दिया था। कोलाहल सुनकर भस्म आरती करने आए पुजारी ने जब नंदी मंडपम का द्वार खोलकर देखा तो दर्शनार्थी बैठे हुए थे।

महाकाल मंदिर की परंपरा टूटते देख पंड‍ित संजय पुजारी ने कड़ी आपत्ति ली । उन्‍होंने अधिकारियों को मंदिर की धर्म परंपरा व मर्यादा का ध्यान रखने को कहा।

बताया जाता है कि इसके बाद कर्मचारियों के माफी मांगने पर मामला शांत हुआ। बता दें मंदिर के गर्भगृह व नंदी मंडपम के पट खुलने से पहले किसी भी व्यक्ति को नंदी व गणेश मंडपम में आने की इजाजत नहीं है।
यह है महाकाल मंंदिर की परंपरा
पंडितों के अनुसार भगवान महाकाल की भस्‍मारती आरंभ होने से पहले सभा मंडप में वीरभद्रजी के नाम में पंडित द्वारा स्‍वस्तिवाचन किया जाता है। इसके बाद घंटी बजाकर भगवान महाकाल से आज्ञा लेने के बाद ही सभामंडप के चांदी के पट खोले जाने की परंपरा है। इस दौरान किसी अन्‍य की उपस्थिति‍ नहीं रहती है। पुजारी इसके बाद महाकाल गर्भगृह के पट खोलकर भगवान का श्रृंगार, पूजन और आरती करते हैं। इसके बाद नंदी हॉल के पट खोले जाते हैं। नंदी हॉल में नंदीश्‍वर की स्‍नान-पूजा के बाद ही श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जाता है।