मध्य प्रदेश में देवी अहिल्याबाई होल्कर के 300वीं जन्म जयंती वर्ष को विशेष रूप से बनाए जाने की तैयारियां की गई हैं, जिसका पहला आयोजन शुक्रवार को इंदौर एवं ग्वालियर में रखा गया है। इसके लिए प्रदेश में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की योजना एवं सहयोग से अलग-अलग समितियां गठित की गई हैं जो इन आयोजनों का संचालन कर रही हैं।

इंदौर में अखिल भारतीय स्तर की ‘लोकमाता अहिल्याबाई होलकर त्रिशताब्दी समारोह समिति’ का गठन हुआ है जिसमें पद्मविभूषण सोनल मानसिंह तथा पद्मभूषण सुमित्रा महाजन संरक्षक हैं। समिति की अध्यक्ष प्रख्यात शिक्षाविद् चंद्रकला पाड़ीया तथा कार्याध्यक्ष होल्कर राजवंश के उदयसिंह राजे होलकर के मार्गदर्शन में वर्षभर लोकमाता के संदेश को जन-जन तक पहुँचाने के विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे। वहीं, राज्य में प्रांत स्तरीय आयोजन समितियां गठित की गई हैं, जो आज से अपने कार्यक्रमों की शुरूआत करने जा रही हैं।

त्रिशताब्दी समारोह का औपचारिक शुभारंभ दिनांक शुक्रवार सायं 5:30 बजे अभय प्रशाल इंदौर में है। नगर पालिका निगम इंदौर इस भव्य समारोह का सहआयोजक है। भानपुरा पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानंद तीर्थ, महामंडलेश्वर किरणदासबापू महाराज तथा महामंडलेश्वर कृष्णवदन महाराज के सानिध्य में यह आयोजन हो रहा है । जिसमें कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहसरकार्यवाह डॉ. कृष्णगोपाल, राष्ट्र सेविका समिति की संचालिका शांता अक्का, सोनल मानसिंह, सुमित्रा महाजन, महापौर पुष्यमित्र भार्गव सहित समारोह समिति के सदस्य इस आयोजन में उपस्थित रहेंगे। पद्मश्री निवेदिता भिड़े (विवेकानंद केंद्र, कन्याकुमारी) इस कार्यक्रम की मुख्य वक्ता हैं। वहीं, इंदौर के ही ख्यातनाम कलाकार गौतम काले एवं उनके सहयोगियों द्वारा देवी अहिल्याबाई पर केंद्रित संगीतमय प्रस्तुति भी इस अवसर पर होगी।

इसी तरह दूसरा बड़ा आयोजन आज ग्वालियर में हो रहा है। जिसकी मुख्यवक्ता राज्य बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा हैं। मध्य भारत में प्रांत स्तरीय आयोजन समिति की उपाध्यक्ष डॉ. प्रियवंदा भसीन (नेत्र रोग विशेषज्ञ) विशिष्ट अतिथि और अध्यक्ष के रूप में उपेंद्र नाथ शर्मा, पूर्व प्रशासनिक अधिकारी रहेंगे। इन दोनों ही कार्यक्रमों में 10 हजार से अधिक समाज जाति प्रमुखों, कार्यकर्ताओं, प्रबुद्ध जनों को बुलाया गया है।

पुण्यश्लोका लोकमाता देवी अहिल्याबाई के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से सारा देश परिचित हो, इस उद्देश्य से अखिल भारतीय स्तर पर गठित इस सिमिति के अलावा सभी प्रांतों में इनका गठन हुआ है। समितियां देश भर में अनेक कार्यशालाएँ, सेमिनार तथा सार्वजनिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। भारत की सभी प्रमुख भाषाओं में लोकमाता के साहित्य का प्रकाशन किया जावेगा। लोकमाता के व्यक्तित्व एवं कृतित्व के साथ तीर्थ स्थलों के चित्रों सहित एक कॉफ़ी टेबल बुक का भी प्रकाशन होगा। ललितकलाओं जैसे संगीत, नाटक, चित्रकला आदि के माध्यम से देवी अहिल्याबाई के जीवन को जन-जन तक पहुंचाया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि अहिल्याबाई ने देशभर के 100 से अधिक तीर्थस्थानों पर धर्मशाला, बावड़ी, अन्न क्षेत्र आदि के निर्माण करवाए थे, उन स्थानों पर भी विशेष आयोजन होंगे। देवी अहिल्याबाई समाज के तथाकथित वंचित वर्ग से आती थीं। साथ ही दुर्भाग्य से उन्हें वैधव्य प्राप्त हुआ था। ऐसी कठिन परिस्थिति के उपरान्त भी उन्होंने 30 वर्ष तक कुशलता से साम्राज्य का संचालन किया। विदेशी आक्रमणकारियों और मुगल साम्राज्य के कारण ध्वस्त हो चुके, भारत के तीर्थ स्थलों के पुनर्निर्माण करने के पीछे उनका उद्देश्य भारत की अस्मिता को पुनर्स्थापित करना था। गुलामी के कारण दुर्दशा को प्राप्त काशी विश्वनाथ तथा सोमनाथ मंदिर का भी पुनरुद्धार उन्होंने करवाया था । इसके साथ ही वे महिला सशक्तिकरण का एक बड़ा उदाहरण हैं।