यूक्रेन से जंग के कारण रूस को विभिन्न आर्थिक प्रतिबंधों का सामना कर रहा है. हालिया कुछ महीनों में अमेरिका ने इन प्रतिबंधों को और कड़ा कर दिया है. इस वजह से भारत, रूस से खरीदे तेल का भुगतान नहीं कर पा रहा है.
अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण भारत को रूस से सस्ता तेल खरीदने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से ही भारत ने रूसी तेल की खरीद बढ़ा दी है. लेकिन रूस पर प्रतिबंधों के चलते अमेरिकी डॉलर में भुगतान करने में दिक्कतें आ रही हैं. समाचार एजेंसी ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस से कच्चे तेल की ढुलाई करने वाले कार्गो शिप (जहाज) जो पहले भारत आ रहे थे, वह सभी जहाज अब मलक्का खाड़ी की ओर बढ़ रहे हैं. डेटा इंटेलिजेंस प्रोवाइडर केप्लर के प्रमुख क्रूड विश्लेषक विक्टर कटोना का कहना है कि रूस का टैंकर जो इधर-उधर भटक रहा था, ऐसा लगता है कि उसे बचाने के लिए चीन सामने आया है. वैसेल ट्रैकिंग डेटा के अनुसार,रूसी तेल ढोने वाले पांच जहाज मलक्का जलडमरूमध्य की ओर बढ़ रहे हैं. एनएस सेंचुरी अभी श्रीलंका के आसपास है.
अमेरिका ने प्रतिबंधों को और कड़ा किया
रूसी तेल पर पश्चिमी प्रतिबंधों का कोई खास असर नहीं हो रहा था, जिसे देखते हुए अमेरिका ने हाल ही में प्रतिबंधों को और कड़ा कर दिया है. इस वजह से भारत, रूस से खरीदे तेल का भुगतान नहीं कर पा रहा है. जिससे पिछले महीने रूस से आने वाले तेल टैंकरों की संख्या में कमी आई है.
रूस-यूक्रेन में युद्ध की शुरुआत के बाद से ही भारत, रूस से रियायत कीमतों पर भारी मात्रा में तेल खरीद रहा है. लेकिन भुगतान संबंधी समस्याओं के कारण पिछले महीने रूस से तेल खरीद में भारी गिरावट दर्ज की गई है. केप्लर के अनुसार, पिछले महीने में जनवरी 2023 के बाद से सबसे कम रूसी तेल आयात किया गया है.
इसका प्रमुख कारण यह है कि अमेरिका और उसके अन्य सहयोगी देश पिछले महीने एनएस सेंचुरी समेत पांच रूसी जहाजों पर 60 डॉलर प्रति बैरल के प्राइस कैप से ऊपर तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था. रूस-यूक्रेन युद्ध को देखते हुए अमेरिका ने रूसी तेल का एक प्राइस कैप तय किया है जिसके मुताबिक, रूसी तेल को 60 डॉलर प्रति बैरल से ज्यादा कीमत पर नहीं बेचा जा सकता है. एनएस सेंचुरी जहाज एक बार में लगभग 7 लाख बैरल तेल ढो सकता है.
10 से ज्यादा दिनों तक भटकता रहा था रूसी टैंकर
एक रिपोर्ट के मुताबिक, नवंबर 2023 में कच्चे तेल से भरा रूस का एक टैंकर भारत के तट के पास 10 से ज्यादा दिनों तक भटकता रहा था. क्योंकि भारत उसे अपने तट पर ठहरने की इजाजत देने को लेकर असमंजस में था. रूसी तेल टैंकर एनएस सेंचुरी भारत के तट से 1600 मील दूरी पर भटक रहा था. रिपोर्ट के मुताबिक, यह टैंकर दक्षिण कोरिया के जरिए आ रहा था, जिसे गुजरात के वाडिनार बंदरगाह पहुंचना था.
चीनी करेंसी में भुगतान करने से भारत का इनकार
भारत शुरुआत से ही रूस-यूक्रेन युद्ध में तटस्थ रहा है लेकिन रूस से भारी मात्रा में तेल खरीद रहा है. रूस ने भारत को रियायती दरों पर तेल ऑफर किया था, जिसका भारतीय रिफाइनरों ने भारी लाभ उठाया. इधर, भारत पर अमेरिका के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने का भी दबाव है. माना जा रहा है कि इसी वजह से भारत ने रूसी टैंकर को अपने बंदरगाह पर उतरने की इजाजत नहीं दी.
वहीं, रूस अपने तेल के लिए भारत से चीनी मुद्रा युआन में भुगतान की मांग करता रहा है. लेकिन चीन के साथ रिश्तों को देखते हुए भारत युआन में पेमेंट करने में असहज रहा है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने बताया था कि अक्टूबर 2023 तक, भारत में आने वाले कम से कम सात तेल शिपमेंट ऐसे थे जिनका भुगतान नहीं किया गया था.