राजधानी भोपाल के पेट्रोप पंपों पर फिलहाल ड्राय यानी, सूखने जैसी स्थिति नहीं है। यहां रिलायंस डिपो से डीजल और भारत पेट्रोलियम से पेट्रोल की सप्लाई हो रही है। वहीं, स्टॉक भी रखा है। हालांकि, संचालकों का कहना है कि हमने IOCL (इंडियन ऑयल) और HPCL (हिंदुस्तान पेट्रोलियम) से मोहलत मांगी है। ताकि बॉटम लोडिंग यानी, नीचे से भरने वाले टैंकरों की व्यवस्था कर ली जाए।
एमपी में पेट्रोल डीजल को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। यहां दो दिनों में पेट्रोल की जबर्दस्त किल्लत हो सकती है। आशंका जताई जा रही है कि 1 अप्रेल से राजधानी भोपाल में अधिकांश पंपों पर पेट्रोल नहीं मिल सकेगा। यहां पेट्रोल की सप्लाई ही नहीं होगी। एनजीटी के आदेश के कारण यह स्थिति बन रही है। एनजीटी ने जैसे टैंकरों से पेट्रोल की सप्लाई करने के निर्देश दिए हैं वैसे टैंकर पेट्रोल पंपों के पास हैं ही नहीं।
एनजीटी ने बॉटम लोडिंग यानि नीचे से पेट्रोल डीजल भरने वाले टैंकर से सप्लाई करने का आदेश दिया है। बताया जा रहा है कि एनजीटी के इस आदेश का हवाला देकर डिपो ने 1 अप्रैल से ऊपर से पेट्रोल डीजल भरने वाले टैंकरों से सप्लाई नहीं करने का फैसला लिया है। पेट्रोल पंप डीलर्स बताते हैं कि उनके पास ऐसे टेंकर अभी नहीं हैं जिसके कारण सप्लाई नहीं हो सकेगी।
डीलर्स के अनुसार ऐसे में भोपाल के अधिकांश पंप बंद हो जाएंगे, केवल 45 पेट्रोल पंपों पर ही पेट्रोल डीजल मिलेगा। यानि 1 अप्रेल से शहर के करीब 125 पेट्रोल पंपों पर ताले लटक सकते हैं। शहरी सीमा में अभी कुल 170 पेट्रोल पंप चल रहे हैं।
कुछ डीलर्स ने इस समस्या का हल भी निकाला है। मध्यप्रदेश पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष अजय सिंह बताते हैं कि ऐसी स्थिति में हमें बाहर से पेट्रोल और डीजल बुलवाना पड़ेगा। कई पंप मालिक इटारसी या सागर डिपो से भी पेट्रोल डीजल मंगवाने की तैयारी कर रहे हैं।
इस स्थिति में भी कुछ दिक्कतें तो आएंगी। पेट्रोल पंपों पर एक-दो दिन के अंतर से पेट्रोल – डीजल मिल सकेगा। एसोसिएशन के एक पदाधिकारी के अनुसार अभी बॉटम लोडिंग टैंकर नहीं हैं। ऐसा टैंकर बनाने में कम से कम 6 माह लगेंगे जबकि हमें केवल 20 दिन पहले नए आदेश के बारे में बताया गया। कुछ और मोहलत मिले तो टेंकरों की व्यवस्था की जा सकती है।
एनजीटी का आदेश 5 साल पुराना
एनजीटी का यह आदेश 5 साल पुराना है। पेट्रोल और डीजल टैंकरों को टॉप लोडिंग के बजाय बॉटम लोडिंग में बदलने का आदेश 2019 में दिया गया था। ज्यादातर बड़े शहरों में यह फैसला लागू किया जा चुका है। अब इसे भोपाल में लागू किया जा रहा है।