नमस्कार दोस्तों, ई खबर में आपका स्वागत है आज हम आपके सामने एक महत्वपूर्ण मुद्दा लेकर आए हैं, जो हमारे समाज की असंवेदनशीलता और सरकारी तंत्र की उदासीनता को दर्शाता है। यह कहानी है चंद्र प्रसाद की, जो दिल्ली के गांव घोगा के निवासी हैं। चंद्र प्रसाद लगातार 17 वर्षों से अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। उनके पिता, स्वर्गीय श्री हेम लाल, शिक्षा विभाग में चौकीदार के रूप में कार्यरत थे, जिनका 28 जनवरी 2007 को निधन हो गया। अपने पिता के निधन के बाद से, चंद्र प्रसाद ने करुणामूलक आधार पर सरकारी नौकरी के लिए आवेदन किया, लेकिन आज तक उन्हें न्याय नहीं मिला है।
चंद्र प्रसाद ने 2018 में अदालत का दरवाजा खटखटाया, और उन्हें अदालत से उनके पक्ष में फैसला भी मिला। आदेश संख्या (OA No. 797/2018, MA No. 868/2018) के अनुसार, उन्हें नौकरी देने का निर्देश दिया गया था। लेकिन दुर्भाग्य से, आज तक उस आदेश पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। यह हमारी न्याय प्रणाली और सरकारी विभागों की निष्क्रियता को उजागर करता है।
चंद्र प्रसाद की मां बीमार हैं, घर की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है, और उनके पास कोई स्थायी आय का स्रोत नहीं है। ऐसे में, वह दिल्ली सरकार और शिक्षा निदेशक से मदद की अपील कर रहे हैं कि उन्हें जल्द से जल्द करुणामूलक आधार पर नौकरी दी जाए, ताकि वह अपने परिवार का भरण-पोषण कर सकें। चंद्र प्रसाद ने मीडिया के माध्यम से मुख्यमंत्री से भी गुहार लगाई है कि वह उनके मामले में हस्तक्षेप करें और उन्हें न्याय दिलाएं।
आशा करते हैं कि सरकार और प्रशासन इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देंगे, और चंद्र प्रसाद जैसे पीड़ितों को उनका हक दिलाएंगे। धन्यवाद।