भोपाल. मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में चिकनगुनिया और डेंगू का खतरा पैदा हो गया है. स्वास्थ्य विभाग ने 1 अक्टूबर को भोपाल में 101 लोगों के चिकनगुनिया टेस्ट किए. यह आंकड़ा एक ही दिन में करीब-करीब चार गुना है. सितंबर में यह आंकड़ा महज 28 था. इतने लोगों का एक दिन में टेस्ट होना यह दिखाता है कि चिकनगुनिया को लेकर मामला गंभीर रूप ले सकता है. हालांकि, इस मामले में स्वास्थ्य अधिकारी फिलहाल कुछ कह नहीं रहे. भोपाल में चिकनगुनिया के 1614 टेस्ट की पॉजिटिव दर 6.9 फीसदी है. इधर, 1 अक्टूबर को चिकनगुनिया के तीन नए मामले भी सामने आए.
गौरतलब है कि भोपाल के बाग मुगलिया, जेके रोड, सोनागिरी, साकेत नगर, कोलार, नरेला शंकरी, रत्नागिरी, भदभदा, बैरागढ़, करोंद, शहीद नगर, शाहपुरा, द्वारका नगर, हबीबगंज, पिपलिया पेंदें खां, एम्स हॉस्टल, बरखेड़ा, अवधपुरी, खजुरीकलां, झील नगर, इंदिरा नगर, एकता नगर, पंचशील नगर, सुरभि कलश, बीडीए कॉलोनी, दानिश नगर, अविनाश नगर इश्वर नगर और बाग सेवनिया इलाके चिकनगुनिया से ग्रसित हैं. भोपाल से प्रकाशित अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, 1 अक्टूबर को भोपाल में डेंगू के 9 मामले सामने आए. इस तरह इस बीमारी से पीड़ित मरीजों का आंकड़ा 131 हो गया है. पिछले 8 महीनों में भोपाल में डेंगू के 214 मामले जिला मलेरिया कार्यालय में दर्ज किए गए.
इसलिए जरूरी है टेस्टिंग होना
इस बीमारी की पॉजिटिव दर 4 फीसदी हो गई है. इससे स्वास्थ्य विभाग के कान खड़े हो गए हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों का टेस्ट होना जरूरी है. टेस्ट होने से बीमारी का पता समय पर चल जाता है. बीमारी का पता समय से चलने पर उसका इलाज भी सही वक्त पर हो जाता है. चिकनगुनिया मच्छरों से काटने से फैलता है. इसके लक्ष्णों में बुखार, जोड़े दर्द करना शामिल हैं. ऐसे में अगर कोई इन लक्ष्णों से पीड़ित है तो उसका टेस्ट करना जरूरी होता है. यह भी जानना जरूरी होता है क्या पीड़ित ऐसी जगह गया था, जो चिकनगुनिया से ग्रसित हो.