मध्य प्रदेश पुलिस और ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया के संयुक्त तत्वाधान में मंगलवार को भोपाल में एक दिवसीय ‘विचार-विमर्श किया गया। ‘मध्य प्रदेश में महिलाओं का सशक्तिकरण: सुरक्षा और सम्मान के लिए रणनीतियाँ’ विषयक इस विचार-विमर्श कार्यशाला में मुख्य रूप से उन चुनौतियों और समाधान हेतु रणनीतियों पर समझ बनाने के साथ एक लक्षित हस्तक्षेप की शुरुआत हुई जिससे कि इन हस्तक्षेपों को व्यापक अभिसरण के साथ दिशा मिल सके और राज्य के ग्रामीण महिलाओं के अधिकारों की सुरक्षा के साथ-साथ उनका सम्मानपूर्वक जीवन संपूर्ण हो सके। और इस दिशा में राज्य पुलिस, महिला संगठन, पंचायती राज संस्थान, स्थानीय प्रशासन और अन्य सम्बंधित विभाग के सहयोग और सामन्जस्य से उन बिन्दुओं और समाधान के तरीकों को ग्रामीण क्षेत्र में लागू करने के प्रयासों को बल मिल पायेगा.
ग्रामीण मध्य प्रदेश में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के महत्व को कम करके आंका नहीं जा सकता. इन क्षेत्रों में महिलाओं को उनकी सुरक्षा से सम्बंधित विभिन्न प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और यह बेहद ही जरूरी है कि उनकी सुरक्षा और सम्मान के लिए एक वातावरण स्थापित हो और यह साझा प्रयासों तथा समाज, सरकार और ग्रामीण स्थानीय संस्थानों के बीच एक समन्वय से ही संभव हो सकता है। उपरोक्त बातें आईपीएस और पुलिस विभाग की ए.आई.जी. (क्राइम अगेंस्ट वीमेन), सुश्री पिंकी जिजवानी ने कही।
उन्होंने बताया कि महिला हिंसा-उत्पीड़न और सुरक्षित सार्वजनिक स्थानों की कमी आदि और अन्य मुद्दों पर सभी के साथ मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है इनके समाधान से सम्बंधित किस प्रकार के संसाधन और तरीके मौजूद हैं, उनको भी अधिक न्यायसंगत बनाने के लिए कानून विभाग, नागरिक समाज, समुदायों और लैंगिक समानता और न्याय को आगे बढ़ाने के लिए सभी हितधारकों बीच सहयोग के साथ बढ़ावा दिया जाएगा।
‘पंचायत और समुदाय की भागीदारी के द्वारा महिला सुरक्षा’ विषयक एक पैनल चर्चा में ग्रामीण और पंचायती राज विभाग के डिप्टी डायरेक्टर श्री देवेश मिश्रा कार्यशाला में अपना विचार व्यक्त करते हुए बताया कि जेंडर संवेदनशील पंचायत बनाने की दिशा में सभी विभागों के समन्वय हेतु विभिन्न तरह के दिशानिर्देश केंद्र और राज्य द्वारा जारी किये गए हैं, उन पर सही रूप से अमल में लाया जाना जरूरी है।
महिला सुरक्षा से सम्बंधित सफलतम कहानियों का एक संकलन भी इस इस कार्यशाला में विमोचन किया जाएगा. इस कार्याशाला अन्य विशेष वक्ताओं में मुख्य रूप से एमपीएसआरएलएम् के एसीईओ नेमचंद, महिला और बाल विकास विभाग के डिप्टी डायरेक्टर श्री सुरेश तोमर, मनरेगा कमिश्नर एस. चैतन्य कृष्णा (आईएस), एनआरईटीपी की स्टेट एक्सपर्ट सुश्री स्वाति परमार, एनएचएम् की डिप्टी डायरेक्टर डॉ नमिता नीलकंठ, आईवेज के श्री बलवंत सिंह, टीआरआई से सुश्री नेहा गुप्ता, सीमा भास्करन और सामुद्दायिक संस्थानों के प्रतिनिधि मौजूद थे. कार्यक्रम में विशेष रूप से नारी अधिकार केंद्र और लोक अधिकार केंद्र के समन्वयकों ने विस्तारपूर्वक अपने कार्य को साझा किया।