रांची: सिविल जज जूनियर डिवीजन, रांची के न्यायालय में चल रहे बंटवारा मुकदमा संख्या 287/2024 के लंबित होने के बावजूद ग्राम पतराचौली, थाना नगड़ी, जिला रांची की पुश्तैनी जमीन को बिना उचित बंटवारे के बेचे जाने का मामला सामने आया है।
रमेश गोप, रामसुंदर गोप, छोटन गोप और सुरेश गोप ने ग्राम पतराचौली की खाता संख्या 11 और 71 की भूमि को बंटवारा प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही बेच दिया। इस विवादित भूमि को नए क्रेताओं ने दाखिल खारिज के लिए आवेदन किया है, जिसे लेकर अब आपत्ति जताई गई है।
भूमि विवरण निम्नलिखित है:
| खाता सं. | प्लॉट सं. | रकबा (डिसमिल) | दाखिल खारिज वर्ष |
|————–|—————-|——————-|———————|
| 11 | 597 | 116 | 1835/2024-25 |
| 71 | 201 | 24 | 1836/2024-25 |
| 681 | — | 64 | 1838/2024-25 |
इस भूमि विवाद में विक्रेताओं द्वारा दाखिल खारिज के लिए आवेदन किए गए हैं, जबकि बंटवारा मुकदमा न्यायालय में लंबित है, जिसके कारण इस प्रक्रिया पर रोक की मांग की जा रही है।
इस मामले में वंशावली को गलत दर्शाते हुए डीड संख्या 5633/5395, दिनांक 28.06.2024 के तहत भूमि की बिक्री की गई है। सही वंशावली के अनुसार, कमल गोप के एकमात्र पुत्र बंधना गोप के दोनों पुत्र शिव नारायण गोप और नारायण गोप वर्तमान में जीवित हैं और ग्राम पतराचौली में रहते हैं।
भूमि हस्तांतरण अधिनियम 1882 की धारा 52 के तहत, जब तक बंटवारे का अंतिम आदेश नहीं आता, तब तक किसी भी संपत्ति का हस्तांतरण कानूनी रूप से निषिद्ध है।
पीड़ित पक्ष ने अचल अधिकारी से अनुरोध किया है कि जब तक न्यायालय का अंतिम निर्णय नहीं आता, तब तक इस भूमि का दाखिल खारिज रोका जाए। मामले की अगली सुनवाई 24 अगस्त 2024 को निर्धारित है।
पीड़ित परिवार ने मीडिया के माध्यम से लगाई न्याय की गुहार
रांची: झारखंड के प्रेमचंद ने मीडिया के माध्यम से न्याय की गुहार लगाते हुए कहा कि उनके दादा अंदू महतो के नाम पर जमीन थी, जिस पर दबंग किस्म के लोगों ने जबरन कब्जा कर लिया है। प्रेमचंद ने बताया कि नगड़ी ब्लॉक के सीईओ को इस संबंध में दो बार आवेदन देने के बावजूद कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उल्टा, सीईओ ने आरोपियों के पक्ष में जमीन का रसीद काट दिया है।
प्रेमचंद ने बताया कि जिन लोगों ने उनकी जमीन पर कब्जा किया, उनके नाम बबलू गोप (तिलक सूती) और अंतू गोप (कुंदी) हैं। ये लोग उन्हें डरा-धमकाकर और पैसे के बल पर पूरी जमीन अपने नाम लिखवा चुके हैं। प्रेमचंद ने कहा कि उन्होंने कई बार अपनी जमीन बचाने के प्रयास किए, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई।
प्रेमचंद ने मीडिया के माध्यम से सरकार से अपील करते हुए कहा, “सरकार हमारी मदद करे और आरोपियों पर सख्त कार्रवाई कर हमारी जमीन हमें वापस दिलाए।”
यह मामला प्रशासनिक लापरवाही और दबंगों की दबाव नीति का एक और उदाहरण है, जहां पीड़ित परिवार की आवाज़ सुनवाई के लिए दर-दर भटक रही है।
ई खबर मीडिया के लिए ब्यूरो देव शर्मा की रिपोर्ट