अमेरिकी प्राइवेट कंपनी का पेरेग्रीन-1 लैंडर चांद पर नहीं उतरेगा। इस लैंडर को बनाने वाली कंपनी एस्ट्रोबोटिक ने इसकी जानकारी दी। यह लैंडर 8 जनवरी को स्पेस में भेजा गया था।

एस्ट्रोबोटिक कंपनी ने कहा- लॉन्च के बाद दो बड़ी प्रॉबलम हो गईं। पहली- फ्यूल लीकेज और दूसरी- फेल बैटरी चार्किंग। पेरेग्रीन-1 लैंडर की लॉन्चिंग के चंद घंटों बाद फ्यूल लीक होने लगा। इस वजह से लैंडर उस जगह पर नहीं पहुंच पाया जहां से उसे सूरज की रोशनी मिलने वाली थी।

सौर उर्जा नहीं मिलने के कारण लैंडर पर लगे सोलर पैनल चार्च नहीं हो पाए और बैटरी सिस्टम फेल हो गया। हालांकि, हमारी टीम ने बैटरी चार्च करने का तरीका तो निकाल लिया लेकिन फ्यूल लीकेज नहीं रोक पाए। इस बीच अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने आर्टिमस-2 मिशन को 2026 तक के लिए टाल दिया है।

अब लैंडर को चांद के करीब पहुंचाना ही मिशन
कंपनी ने कहा- लॉन्चिंग से पहले हमारा मिशन चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग का था। सब सही होता तो 23 फरवरी को लैंडिंग होती। लेकिन अब हालात दूसरे हैं। अब हमारा मिशन लैंडर को चांद के जितना करीब हो सके उतना करीब ले जाना है। हम कोशिश कर रहे हैं कि बैटरी के सहारे वो सूरज के करीब पहुंच जाए जिससे सौर उर्जा के सहारे बैटरी लगातार चार्ज होती रहे और लैंडर से कुछ डेटा मिल सके।

इस मून मिशन का मकसद चंद्रमा पर पानी के मॉलिक्यूल्स का पता लगाना था। इसके साथ ही लैंडर के चारों ओर रेडिएशन और गैसों को मापना भी एक मकसद था। इससे पता चलता कि सोलर रेडिएशन का चांद की सतह क्या असर होता है।

एस्ट्रोबोटिक कंपनी ने मंगलवार 9 जनवरी को स्पेस में मौजूद परेग्रीन-1 लैंडर की यह तस्वीर शेयर की थी।
एस्ट्रोबोटिक कंपनी ने मंगलवार 9 जनवरी को स्पेस में मौजूद परेग्रीन-1 लैंडर की यह तस्वीर शेयर की थी।

लैंडर पर नासा के 5 पेलोड लगे हैं
द गार्डियन के मुताबिक, परेग्रीन-1 पर 15 पेलोड लगे हैं। इनमें से 5 नासा के हैं। यह चंद्रमा के मध्य-अक्षांश क्षेत्र (mid-latitude region) पर 23 फरवरी को लैंड होने वाला था। इस इलाके को साइनस विस्कोसिटैटिस या स्टिकनेस की खाड़ी कहा जाता है। इसे 8 जनवरी को भारतीय समयानुसार दोपहर 12:48 बजे यूनाइटेड लॉन्च अलायंस कंपनी के वल्कन सेंटौर रॉकेट के जरिए फ्लोरिडा के केप कैनावेरल स्पेस फोर्स स्टेशन से चांद की ओर रवाना किया गया था।

तस्वीर यूनाइटेड लॉन्‍च अलायंस के वल्कन सेंटौर रॉकेट की है। इसके जरिए पेरेग्रीन-1 लैंडर स्पेस में भेजा गया था।
तस्वीर यूनाइटेड लॉन्‍च अलायंस के वल्कन सेंटौर रॉकेट की है। इसके जरिए पेरेग्रीन-1 लैंडर स्पेस में भेजा गया था।

51 साल बाद कोई अमेरिकी स्पेसक्राफ्ट चांद पर उतरता
अगर लैंडिंग होती तो यह 51 साल में पहली बार होता जब कोई अमेरिकी मिशन चांद पर उतरता। इसके पहले 1972 में अपोलो 17 मिशन ने चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग की थी। इसके बाद अमेरिका ने साल 2022 में आर्टिमिस-1 मिशन को चांद पर रवाना किया था। लेकिन वह स्‍पेसक्राफ्ट चांद पर उतरा नहीं था। आर्टिमिस-1 ने चांद का चक्‍कर लगाया था।

2024 में लॉन्‍च होने वाला था आर्टिमिस-2 मिशन, अब टला
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने आर्टिमस-2 मिशन को 2026 तक के लिए टाल दिया है। नासा ने कहा- हम नहीं चाहते की चांद पर लैंडिंग के दौरान कोई भी परेशानी आए। हम अपनी को पर्याप्त समय देना चाहते हैं। किसी भी तरह की जल्दबाजी सही नहीं है।

नासा इस मिशन को 2024 में लॉन्‍च करने वाला था। आर्टिमिस-2 मिशन के त‍हत अंतरिक्ष यात्रियों को चांद पर भेजा जाएगा। हालां‍कि वो भी चांद पर लैंड करने के बजाए, उसका चक्‍कर लगाकर लौट आएंगे।