बिना से विधायक निर्मला सप्रे कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हो गई हैं। उन्होंने बीना को जिला बनाने की शर्त रखी। 150 दिन बाद भी उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा नहीं दिया है, क्योंकि उन्हें उप-चुनाव का सामना करने से डर है। कांग्रेस ने उनके खिलाफ डिस्क्वालिफिकेशन पिटीशन दायर की है।

बीना: सागर जिले में कांग्रेस का परचम लहराने वाली एकमात्र विधायक निर्मला सप्रे को कांग्रेस छोड़े लगभग 5 महीने बीत चुके हैं। वह सीएम मोहन यादव की मौजूदगी में बीजेपी में शामिल हो गई हैं। बीना की विधायक रहीं निर्मला सप्रे ने भाजपा में शामिल होने के बदले बीना को जिला बनाने की मांग पार्टी के सामने रखी थी, जो अब तक अधूरी है।

कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष को दी थी पिटीशन

5 जुलाई को कांग्रेस ने निर्मला सप्रे को कांग्रेस विधायक के रूप में सदस्यता से अयोग्य ठहराने के लिए विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष डिस्क्वालिफिकेशन पिटीशन भी दायर की थी। इसके बावजूद वह अब तक कांग्रेस की विधायक बनी हुई हैं। विधायक निर्मला सप्रे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीतकर 5 मई को बीजेपी में शामिल हुई थीं।

कई बार मंच से कर चुकी हैं इस्तीफे की बात

होना तो ये चाहिए था कि वह कांग्रेस से त्यागपत्र दे देतीं, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। अब इस बात को लगभग 150 दिन बीत चुके हैं। उन्होंने न तो कांग्रेस से इस्तीफा दिया है और न ही आधिकारिक तौर पर भाजपा ज्वाइन की है। हालांकि वह कई बार मंच से यह बात बोल चुकी हैं कि वह इस्तीफा देने वाली हैं।

क्यों हो रही देर?

अंदरखाने में चर्चा है कि इस्तीफा देने पर निर्मला सप्रे को उप-चुनाव का सामना करना पड़ेगा, जिसके लिए वह तैयार नहीं हैं। कांग्रेस से इस्तीफे के उन्हें जनता की नाराजगी का डर है। वह लगातार अपनी विधानसभा के दौरे कर रही हैं और जनता के बीच अपनी बात रख रही हैं। एक बार जनता को भरोसे में लेने के बाद ही वह इस्तीफे के बारे में विचार करेंगी।

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