देश में मानसून सीजन अब खत्म होने वाला है। दक्षिण और पूर्वोत्तर के राज्यों को छोड़कर किसी राज्यों में बारिश का अलर्ट नहीं है। नेपाल में भारी बारिश के चलते बिहार के 16 जिलों में बाढ़ आ गई है। करीब 10 लाख आबादी प्रभावित हैं।

बाढ़ प्रभावित इलाकों में एयरफोर्स ने मोर्चा संभाल लिया है। वायुसेना हेलिकॉप्टर से लोगों तक फूड पैकेट्स पहुंचाए जा रहे हैं। पश्चिम चंपारण के बगहा में मंगलवार रात टाइगर रिजर्व के पास रिहायशी इलाके में एक मगरमच्छ घर में घुस गया। वन विभाग की टीम ने कई घंटों की मशक्कत के बाद मगरमच्छ का रेस्क्यू किया।

दूसरी तरफ, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में बारिश का दौर खत्म हो गया है। राजस्थान के कई जिलों में अधिकतम तापमान 36 डिग्री से ऊपर पहुंच गया है। मंगलवार को गंगानगर, फलोदी में सबसे ज्यादा 39.8 डिग्री तापमान दर्ज हुआ।

छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में मंगलवार को अधिकतम तापमान 37.2 डिग्री रिकॉर्ड किया गया। रायपुर में दिन का तापमान 35.2 डिग्री रहा जो सामान्य से 2.8 डिग्री ज्यादा था। मध्य प्रदेश का खजुराहो 36.8 डिग्री तापमान के साथ राज्य में सबसे गर्म रहा। मौसम विभाग ने बुधवार को 11 राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट जारी किया है।

देश में बाढ़-लैंडस्लाइड की घटनाओं में इस साल 1500 लोगों की मौत मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, मानसून के इस सीजन (1 जून से 30 सितंबर) में सामान्य से 8% ज्यादा बारिश हुई। दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन के लॉन्ग पीरियड सेशन (LPA) में हुई बारिश का एवरेज 108% रहा। इस दौरान 934.8 mm बारिश दर्ज की गई। ये साल 2020 के बाद सबसे अधिक है।

मौसम विभाग ने 106 % बारिश के पूर्वानुमान जताया था, जो सरपास हो गया। एक्चुअल बारिश और सामान्य बारिश दोनों में 4% का अंतर रहा। इस साल मानसून ने चार महीने से ज्यादा बरसा।

विभाग के मुताबिक, मानसून के मौजूद सीजन में बारिश से जुड़ी घटनाओं में पूरे देश में 1492 लोगों की मौत हुई। बाढ़-बारिश से घटनाओं में 895 लोगों की जान गई, जबकि 597 मौतें आंधी-बिजली गिरने से हुईं।

मौजूदा मानसून सीजन में 525 भारी वर्षा की घटनाएं हुईं। बीते 5 साल में ये सबसे ज्यादा रहीं। इस दौरान 115.6 mm और 204.5 mm के बीच बारिश हुई। बहुत भारी बारिश की घटनाएं 96 रहीं, इस दौरान 204.5 mm से ज्यादा बारिश हुई।

MP में 18% ज्यादा मानसूनी बारिश, बिहार में 19% कम देश में 1 जून से 30 सितंबर के दौरान सामान्य रूप से 868.6 मिमी बारिश होनी चाहिए, लेकिन इस बार 934.8 मिमी हुई है यानी 7.8% ज्यादा। जबकि जून में बारिश की 11% कमी थी लेकिन उसके बाद लगातार ज्यादा बारिश होती रही।

जुलाई में 9%, अगस्त में 15.3% और सितंबर में 11.6% बारिश हुई। उत्तर पश्चिम के इलाके जिसमें राजस्थान और दिल्ली शामिल हैं, वहां जून और जुलाई में 32.6% और 14.6% की कमी थी लेकिन बाकी के दो महीने अगस्त व सितंबर में 30.1% और 29.2% ज्यादा बारिश हुई।

उत्तर प्रदेश में लगातार बारिश की कमी बनी रही लेकिन आखिरी दो हफ्तों में हुई बारिश के चलते उसका कोटा पूरा हो गया। मध्य भारत अकेला क्षेत्र रहा, जहां जून में बाकी सभी महीनों से भारी बारिश हुई। जुलाई में 33%, अगस्त में 16.5% और सितंबर में 32.3% बारिश हुई।

अगस्त-सितंबर में बंगाल की खाड़ी में लगातार पांच कम दबाव के क्षेत्र बनने और फिर उसके पूर्वी तटों से पश्चिम की ओर बढ़ते हुए लगातार सक्रिय रहने से मध्य भारत खूब भीगा और हिंद महासागर में सक्रियता से महाराष्ट्र-गुजरात भीगे।

अब आगे क्या? नवंबर के तीसरे हफ्ते से दस्तक देने लगेगी सर्दी मानसून के देशभर से विदा होने की सामान्य तिथि 15 अक्टूबर है। अब अगले एक से डेढ़ महीने दिन व रात के तापमान में अंतर और बढ़ जाएगाा। नवंबर के तीसरे हफ्ते से दिन में भी तापमान कम होना शुरू होगा, क्योंकि पश्चिमी विक्षोभों का सिलसिला शुरू हो जाएगा।

दिसंबर में पहाड़ों पर बर्फबारी की शुरुआत से मैदानों में भी ठंड दस्तक देगी। नवंबर के आखिरी तक ला-नीना पैदा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। ला-नीना में अक्सर ज्यादा ठंड रहती है।

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