अंजुम बाराबंकवी ने कहा कि श्री राम के लिए मर्यादा पुरुषोत्तम कमजोर लगता है। वह इससे कहीं बुलंद चीज हैं। उन्होंने राम मंदिर बनने पर खुशी जताई और कहा कि यह काम पहले हो जाना चाहिए था।
मशहूर मुस्लिम शायर अंजुम बाराबंकवी ने भगनाव राम पर गजल लिखी है। उनकी यह गजल पीएम मोदी को बहुत पसंद आई। इसके बाद पीएम मोदी ने पत्र लिखकर अंजुम बाराबंकवी की तारीफ की। प्रधानमंत्री का पत्र मिलने के बाद शायर भावुक हो गए। इंडिया टीवी से एक्सक्लूसिव बातचीत में उन्होंने कहा कि वह खरे और पक्के मुसलमान हैं, नमाजी हैं, लेकिन राम उनके वजूद में शामिल हैं।

शायर अंजुम बाराबंकवी ने राम मंदिर के निर्माण पर खुशी जताते हुए कहा कि 110 फीसदी सही काम हुआ, पहले हो जाना चाहिए था। उन्होंने आगे कहा कि संकीर्ण तंग नजरिया रखने वालों को लगता है कि वंदे मातरम बोलने से मजहब खतरे में आ जाएगा। भगवान राम के लिए उन्होंने कहा “मर्यादा पुरुषोत्तम मुझे कमजोर लगता है, वह इससे कहीं बुलंद चीज हैं।”

फतवे से डर नहीं लगता
शायर बाराबंकवी ने कहा कि उन्हें फतवे से डर नहीं लगता। उन्होंने कहा “प्रभु श्री राम के किरदार में बहुत विविधता है। भाई कैसा होना चाहिए। सौतेले भाई के साथ क्या रवैया होना चाहिए। कौन-कौन सा रूप आपको बताएं सीखने को मिलता है। हम अयोध्यावासी ही हैं। उन्होंने बताया कि पीएम मोदी का पत्र पढ़कर उनकी आंखों में आंसू आ गए थे। उन्होंने बताया कि वह बाराबंकी से हैं। अयोध्या कमिश्नरी है, इसलिए श्रीराम से जज्बाती लगाव है। उन्होंने बताया कि होली पर वह नागेश्वर नाथ के मंदिर में मिलते थे।

मजहब को खतरा नहीं
जब शायर बाराबंकवी से धर्म पर खतरे को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा “मजहब कोई गुड्डा गुड्डी का खेल है, जो खतरे में आ जाएगा। हमारे मां-बाप ने कभी नहीं सिखाया। सगी बहन के पाठ्यक्रम में संस्कृत थी। राम मंदिर प्रतिष्ठा के पहले 21 फरवरी को भोपाल के कमला पार्क में हम इकट्ठा हुए थे उसके बाद हमने गजल लिखी थी।”

डॉ अंजुम बाराबंकवी की श्रीराम पर लिखी गजल
दूर लगते हैं मगर पास हैं दशरथ नन्दन…

मेरी हर साँस का विश्वास हैं दशरथ नन्दन…
दिल के काग़ज़ पे कई बार लिखा है मैंने…
इक महकता हुआ अहसास हैं दशरथ नन्दन…
दूसरे लोगों के बारे में नहीं जानता हूँ…
मेरे जीवन में बहुत ख़ास हैं दशरथ नन्दन…
और कुछ दिन में समझ जाएगी छोटी दुनिया…
हम ग़रीबों की बड़ी आस हैं दशरथ नन्दन…
आप इस तरह समझ लीजिए मेरी अपनी…
ज़िन्दगी के लिए मधुमास हैं दशरथ नन्दन…
ये जो दौलत है मेरे सामने मिट्टी भी नहीं…
मेरी क़िस्मत के मेरे पास हैं दशरथ नन्दन…
मेरी ये बात भी जो चाहे परख सकता है…
सच के हर रूप के अक्कास हैं दशरथ नन्दन…

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