राजस्थान: जिला करोली गांव खेरला निमोदा रेलवे स्टेशन से 1 किलोमीटर दूर सड़क किनारे झोपड़ी में रहते हैं लक्ष्मी शर्मा 49 वर्ष ने बताया कि उनके तीन लड़कियां और एक लड़का है बच्चों के सर से पिता का साया 14 साल पहले ही छूट गया था उसके बाद से लक्ष्मी ने जैसे कैसे परिवार की जिम्मेदारियां उठा रही हैं और वह झोपड़ी भी खाली करो की झोपड़ी पर रह रहे हैं अब झोपड़ी वाले भी खाली कर रहे हैं क्योंकि उनके पास देने के लिए किराया तक नहीं है। इनकी आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर है तथा उन्हें राशन कार्ड भी नहीं बना ऐसा कोई भी सरकारी योजना इनको नहीं मिल पा रही है तो परिवार ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है कि हमें आर्थिक मुआवजा दिलाया जाए तथा हमारे परिवार की मदद की जाए हमारे पास खाने तक के पैसे नहीं है। लक्ष्मी जैसे कैसे स्कूल में मिड डे मील मुझे कुछ पैसे आते हैं उनसे कुछ बनाकर परिवार की रोजी-रोटी चलती है।
एक लड़का गोलू वह तीन लड़कियां सविता, ज्योति, शानू
पीड़िता लक्ष्मी शर्मा ने बताया कि हमें आज तक किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिल पाया है हम अति गरीब श्रेणी में आते हैं और जहां हम झुग्गी में किराए पर रहते हैं उसकी दयनीय हालत है उसका किराया भी नहीं दे पा रहे हैं झुग्गी का जो मकान मालिक है वह हमें खाली करने को बोल रहा है।
घर के मुखिया होने का कर्तव्य और परिवार का पेट भरने की चिता के चलते भोर होते ही घर से निकलने वाले स्वर्गीय कैलाश चंद शर्मा की मौत के बाद उनके परिवार पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है। कैलाश चंद शर्मा की पत्नी लक्ष्मी शर्मा ने बताया के तीन पुत्री और एक पुत्र है। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के चलते तीनों पुत्रीयों ने पिता का हाथ बांटने का जिम्मा कुछ हद तक अपने कंधों पर ले लिया था, लेकिन उन्हें नहीं पता था कि 14 साल पहले को उन्हें पति के शव को कंधा देना पड़ेगा।
स्वर्गीय कैलाश चंद शर्मा की पत्नी लक्ष्मी शर्मा ने बताया कि पति कैलाश चंद शर्मा किसी तरह परिवार का पालन पोषण कर रहे थे। उन्होंने बड़ी 2 पुत्रीयों की एक वर्ष पहले गांव वालों ने मिलकर शादी करवा दी थी, बेटियों का नाम सविता, ज्योति, सानू है,जबकि पुत्र गोलू की शिक्षा भी पूरी नहीं हुई वह अभी पढ़ रहा है। और सारी जिम्मेवारी पत्नी लक्ष्मी शर्मा के ऊपर आ गई है कुछ समय पहले पुत्र 5 साल का था जब पिता का साया सर से उठ गया था वही माता लक्ष्मी शर्मा सरकारी स्कूल में मिड डे मील बनाकर अपना वह परिवार का गुजर बसर करती है। जिला करौली स्थित स्कूल में काम करने लगी। जबकि सबसे छोटा पुत्र गोलू अभी अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी कर रहा है तथा सारी जिम्मेवारी माता के ऊपर आ गई है।
तीनों पुत्रीयां माता के कंधों का बोझ कम करने में लगे थे, लेकिन इससे पहले ही बच्चों के सिर से पिता का साया उठ गया। कैलाश चंद शर्मा की मौत के बाद पत्नी व चार का रो-रोकर बुरा हाल है। लड़कियों की शादी पर सरकार से जो आर्थिक मदद मिलती है वह भी नहीं मिली के गांव खेरला में कई बार सरकारी कार्यालय के चक्कर काट चुके स्वजन बिलख कर विलाप करने लगे। इस दृश्य को देखकर वहां मौजूद ग्रामीणों की आंखें भी नम हो गईं।
पत्नी लक्ष्मी शर्मा ने बताया कि बच्चों के पिता के गुजरते के बाद के बाद परिवार पर आर्थिक संकट मंडराने लगा है। परिवार जनों ने मीडिया के माध्यम से उन्होंने आला अधिकारियों से परिवार को मुआवजा दिलवाए जाने की मांग की है।
ई खबर मीडिया के लिए हरियाणा ब्यूरो देव शर्मा की रिपोर्ट