स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क दुनिया के सबसे ताकतवर स्टारशिप व्हीकल का दूसरा टेस्ट भारतीय समयानुसार शनिवार शाम 6:30 बजे करेंगे। पहले इसे 17 नवंबर को लॉन्च किया जाना था, लेकिन ग्रिड फिन में आई खराबी के कारण इसे एक दिन टाल दिया गया।
मस्क ने कहा, ‘ग्रिड फिन एक्चुएटर को बदलना होगा, इसलिए लॉन्चिंग को शनिवार तक के लिए टाल दिया गया है।’
ग्रिड फिन रॉकेट बूस्टर को पृथ्वी पर वापस आने में मदद करते हैं। स्टारशिप स्पेसक्राफ्ट और सुपर हैवी रॉकेट को कलेक्टिवली ‘स्टारशिप’ कहा जाता है।
स्टारशिप स्पेस में जाएगा, फिर वापस आएगा
यह मिशन 1:30 घंटे का होगा। लाइव स्ट्रीमिंग 30 मिनट पहले यानी 6:30 बजे से शुरू होगी। स्टारशिप को स्पेस में ले जाया जाएगा, फिर पृथ्वी पर वापस लाकर पानी पर लैंड कराया जाएगा। यह एक रीयूजेबल ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम है। इसके जरिए इंसान मंगल ग्रह पर जाएंगे।
अगर सब कुछ प्लान के मुताबिक हुआ तो डेढ़ घंटे में हो जाएगी टेस्टिंग…
- 00:00:02- लिफ्टऑफ
- 00:00:52- मैक्स क्यू (रॉकेट पर पीक मैकेनिकल स्ट्रेस)
- 00:02:39- बूस्टर MECO (अधिकांश इंजन बंद)
- 00:02:41- हॉट-स्टेगिंग (स्टारशिप रैप्टर इग्निशन और स्टेज सेपरेशन)
- 00:02:53- बूस्टर बूस्टबैक बर्न स्टार्टअप
- 00:03:47- बूस्टर बूस्टबैक बर्न शटडाउन
- 00:06:18- बूस्टर ट्रांसोनिक (साउंड की स्पीड- 1185 Km/hr)
- 00:06:30- बूस्टर लैंडिंग बर्न स्टार्टअप
- 00:06:48- बूस्टर लैंडिंग बर्न शटडाउन
- 00:08:33- स्टारशिप इंजन कटऑफ
- 01:17:21- स्टारशिप एंट्री
- 01:28:43- स्टारशिप ट्रांसोनिक
- 01:30:00- एक रोमांचक लैंडिंग!
20 अप्रैल को लॉन्चिंग के कुछ देर बाद स्टारशिप में हो गया था विस्फोट
इससे पहले 20 अप्रैल को स्टारशिप का पहला ऑर्बिटल टेस्ट किया गया था। इस टेस्ट में बूस्टर 7 और शिप 24 को लॉन्च किया गया था। हालांकि, उड़ान भरने के 4 मिनट बाद ही मेक्सिको की खाड़ी के पास 30 किलोमीटर ऊपर स्टारशिप में विस्फोट हो गया था। स्टारशिप के फेल होने के बाद भी स्पेसएक्स हेडक्वार्टर में एलन मस्क और एम्प्लॉइज खुशी मना रहे थे।ऐसा इसलिए क्योंकि रॉकेट का लॉन्च पैड से उड़ना ही बड़ी सफलता थी। स्टेनलेस स्टील से बने स्टारशिप को दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स ने बनाया है। यह दुनिया का सबसे ऊंचा और ताकतवर रॉकेट है। एलन मस्क ने भी स्टारशिप की लॉन्चिंग से दो दिन पहले कहा था- सफलता शायद मिले, लेकिन एक्साइटमेंट की गारंटी है।
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स्टेज सेपरेशन में आई थी परेशानी
स्पेसएक्स ने कहा था- सेपरेशन स्टेज से पहले ही इसका एक हिस्सा अचानक अलग हो गया, जबकि यह तय नहीं था। इस तरह के एक टेस्ट के साथ हम जो सीखते हैं, उससे सफलता मिलती है। आज का टेस्ट हमें स्टारशिप की रिलायबिलिटी में सुधार करने में मदद करेगा। टीमें डेटा को रिव्यू करना जारी रखेंगीं और अगले फ्लाइट टेस्ट की दिशा में काम करेंगीं।लिफ्टऑफ के 4 मिनट बाद रॉकेट को नष्ट किया
- सुपर हैवी बूस्टर पर लगे 33 इंजन स्टार्ट (इग्नाइट) हुए और स्टारशिप धीरे-धीरे ऊपर बढ़ा।
- करीब एक मिनट बाद रॉकेट मैक्सिमम एयरोडायनमिक प्रेशर के पीरियड से गुजरा।
- सुपर हैवी बूस्टर स्टेज पर कई इंजन फेल होने के कारण रॉकेट अनबैलेंस होने लगा।
- अपर स्टेज स्टारशिप व्हीकल को बूस्टर से अलग होना था, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
- लिफ्टऑफ के 4 मिनट बाद, फ्लाइट टर्मिनेशन सिस्टम ने रॉकेट को नष्ट कर दिया।
लॉन्च पैड को ज्यादा नुकसान नहीं, फिर लॉन्च को तैयार
लॉन्च के फेल होने के बाद 29 अप्रैल को ट्विटर स्पेस पर मस्क ने कहा था, ‘लॉन्च मोटे तौर पर मेरी उम्मीद के मुताबिक था और शायद मेरी उम्मीदों से थोड़ा ज्यादा था।’ ऐसी भी खबरें थीं कि लॉन्च पैड को काफी नुकसान पहुंचा। इस पर मस्क ने कहा था- लॉन्च पैड को नुकसान इतना कम है कि स्टारशिप कुछ ही महीनों में फिर से उड़ान भरने के लिए तैयार हो सकता है।व्हीकल और ग्राउंड इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड किया
पहली फ्लाइट से सीखकर स्पेसएक्स ने दूसरी फ्लाइट के लिए व्हीकल और ग्राउंड इन्फ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड किया। इस बार कंपनी हॉट-स्टेज सेपरेशन सिस्टम और एक नया इलेक्ट्रॉनिक थ्रस्ट वेक्टर कंट्रोल (TVC) सिस्टम इस्तेमाल करेगी। इसके अलावा पैड फाउंडेशन और वाटर-कूल्ड स्टील फ्लेम डिफ्लेक्टर को मजबूत करने के अलावा कई अन्य अपग्रेड भी किए गए हैं।दुनिया का सबसे पावरफुल व्हीकल
स्टारशिप दुनिया का अब तक का सबसे पावरफुल डेवलप्ड लॉन्च व्हीकल है। ये पूरी तरह से रीयूजेबल है और 150 मीट्रिक टन भार ले जाने में सक्षम है। स्टारशिप सिस्टम 100 लोगों को एक साथ मंगल ग्रह पर ले जाएगा।स्टारशिप सिस्टम
- हाइट: 397 फीट
- डायामीटर: 9 मीटर
- पेलोड कैपेसिटी: 100-150 मीट्रिक टन
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स्टारशिप इंसानों को मंगल पर पहुंचाएगा
ये लॉन्चिंग इसलिए अहम है, क्योंकि ये स्पेसशिप ही इंसानों को इंटरप्लेनेटरी बनाएगा। यानी इसकी मदद से पहली बार कोई इंसान पृथ्वी के अलावा किसी दूसरे ग्रह पर कदम रखेगा। मस्क 2029 तक इंसानों को मंगल ग्रह पर पहुंचाकर वहां कॉलोनी बसाना चाहते हैं। स्पेसशिप इंसानों को दुनिया के किसी भी कोने में एक घंटे से कम समय में पहुंचाने में भी सक्षम होगा।मंगल ग्रह पर कॉलोनी बसाने की क्या जरूरत?
मंगल ग्रह पर कॉलोनी बसाने की जरूरत पर एलन मस्क कहते हैं- ‘पृथ्वी पर एक लाइफ एंडिंग इवेंट मानवता के अंत का कारण बन सकता है, लेकिन अगर हम मंगल ग्रह पर अपना बेस बना लेंगे तो मानवता वहां जीवित रह सकती है।’ करोड़ों साल पहले पृथ्वी पर डायनासोर का भी अंत एक लाइफ एंडिंग इवेंट के कारण ही हुआ था। वहीं, प्रोफेसर स्टीफन हॉकिंग ने भी 2017 में कहा था कि अगर इंसानों को सर्वाइव करना है तो उन्हें 100 साल के भीतर विस्तार करना होगा। - मस्क का जापानी अरबपति से मून ट्रिप का वादा
स्टारशिप का सबसे बड़ा टारगेट इंसानों को मंगल ग्रह पर पहुंचाना है। इसके अलावा इंसानों को चंद्रमा पर पहुंचाने के नासा के मिशन में भी स्टारशिप लैंडर का काम करेगा। मस्क का प्लान स्टारशिप का इस्तेमाल स्पेस टूरिज्म के लिए करना भी है। मस्क ने एक जापानी अरबपति युसाकु मेजवा से चंद्रमा के चारों ओर घुमाने का वादा किया है।