जैसलमेर जिले के मदासर गांव के निवासी मोहनराम, पुत्र लालूराम विश्नोई, ने स्थानीय न्यायालय में अपने संघर्ष की एक लम्बी कहानी पेश की है। उन्होंने कोर्ट में कई बार याचिकाएं दायर की हैं, परंतु न्याय की राह में लगातार अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है।
मुख्य घटनाएँ और संघर्ष:
1. मौका निरीक्षण की याचिकाएँ*: मोहनराम ने 17/11/2021, 9/3/2022 और 20/10/2022 को एसीजेएम कोर्ट पोकरण में स्थानीय मौका निरीक्षण के लिए याचिकाएं दायर कीं।
2. प्रताड़ना और न्याय की मांग*: 22/5/2022 से प्रताड़ित मोहनराम ने तत्काल निर्णय की मांग करते हुए कहा कि उन्हें अनुच्छेद 21 के तहत अधिकारों का पालन नहीं मिल रहा है।
3. न्यायालय की कार्यवाही*: 22/5/2024 को मोहनराम का प्रार्थना पत्र खारिज कर दिया गया और उन्हें 24/5/2024 तक न्यायालय में जाने के बावजूद नकल नहीं मिली।
4. मानव अधिकारों का उल्लंघन*: 14/1/2008 से आज तक मोहनराम को प्रताड़ित किया जा रहा है और उनके मानव अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
5. पुलिस की लापरवाही*: पुलिस ने सीआरपीसी और अनुच्छेद 21 का पालन नहीं किया, जिससे मोहनराम को स्थानीय मौका जांच के लिए बार-बार आवेदन करना पड़ा।
6. ग्राम पंचायत और प्रशासनिक उपेक्षा*: स्वीकृत रास्ता बंद होने के कारण मोहनराम का खेत बंजर पड़ा है और उन्हें लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। प्रशासन ने उनकी कोई मदद नहीं की।
वर्तमान स्थिति:
मोहनराम का कहना है कि उन्होंने 7/12/2017 से आज तक राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक और अन्य उच्च अधिकारियों को कई बार परिवाद पेश किए हैं, परंतु किसी ने उनकी सुनवाई नहीं की।
पुलिस कार्यवाही पर सवालिया निशान, नहीं की रिपोर्ट दर्ज
मोहन राम के मुताबिक आज तक पुलिस में कोई कार्यवाही नहीं की और ना ही मेरी रिपोर्ट दर्ज की वहीं जानकारी देते हुए मोहनराम के मामले में न्याय की देरी और प्रशासनिक उपेक्षा के कारण वह आज भी अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उनके केस में अनुच्छेद 21 के उल्लंघन की स्पष्ट झलक मिलती है, जिससे यह सिद्ध होता है कि उन्हें अपने मौलिक अधिकारों से वंचित रखा जा रहा है।
मीडिया के माध्यम से लगाई सरकार से न्याय की गुहार
जैसलमेर जिले के मदासर गांव के निवासी मोहनराम विश्नोई की संघर्षपूर्ण कहानी अब मीडिया के बयानात में उभर रही है। उन्होंने न्याय की गुहार लगाने के लिए स्थानीय न्यायिक प्रक्रियाओं में लगातार संघर्ष किया है, लेकिन वे अभी भी अपने मौलिक अधिकारों को पाने से वंचित रहे हैं। मीडिया ने उनकी कहानी को राष्ट्रीय स्तर पर उजागर किया है, जिससे उन्हें न्याय की प्राप्ति में सहायता मिलने की उम्मीद है।
इसके साथ ही, वे राजनीतिक और समाजिक प्रतिनिधियों को भी अपनी समस्याओं को सुनाने का प्रयास कर रहे हैं, जिससे उनकी मामले में स्थिति में सुधार हो सके।
ई खबर मीडिया के लिए ब्यूरो देव शर्मा की रिपोर्ट