सीएम मोहन यादव ने संरक्षित स्मारक गोलघर का लोकार्पण किया है। इसका निर्माण भोपाल की शासक शाहजहां बेगम ने करवाया था। उस समय बेगम का यहां ऑफिस होता था।

भोपाल के पुराने शहर में 18वीं शताब्दी के गोलघर के रिनोवेशन में 4 करोड़ रुपए खर्च हुए हैं। इससे गोल घर अपने पुराने रूप में आ गया है। लैंड स्केपिंग वर्क, बिजली, म्यूजियम, पाथ-वे जैसे कई काम टूरिस्ट्स के लिए किए गए हैं। CM डॉ. मोहन यादव ने शुक्रवार को गोल घर का लोकार्पण किया। वर्ष 1868 से 1901 में नवाब शाहजहां बेगम ने गोलघर बनवाया था।

भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 154 साल पुराने गोलघर की चमक फिर से लौट आई है। सीएम मोहन यादव ने इसका लोकार्पण किया है। गोलघर को फिर से शिल्पकला, संगीत और व्यंजनों के केंद्र के रूप में विकसित किया गया है। इसके लोकार्पण के मौके पर सीएम मोहन यादव ने कहा कि संरक्षित स्मारक गोलघर को पर्यटन विभाग ने बहुउद्देशीय कला केंद्र के रूप में विकसित किया है। उन्होंने ने कहा कि प्राचीन ज्ञान-विज्ञान के केंद्र आज भी उपयोगी हो सकते हैं। अतीत की धरोहर गोलघर को वर्तमान से जोड़ने की पहल सराहनीय है।

भोपाल के दिल में स्थित, गोलघर ने अपनी पुरानी चमक फिर से प्राप्त कर ली है। इस गोलाकार इमारत को नवाब शाहजहां बेगम ने अपने शासनकाल में बनवाया था, और अब यह एक बार फिर से संस्कृति और कला का केंद्र बन गया है। गोलाकार स्वरूप के कारण इसे गोलघर के नाम से जाना जाता है। सीएम मोहन यादव ने कहा कि गोलघर को देखने और इसके निर्माण की तकनीक को समझने की जरूरत है। अब यह लोगों के आकर्षण का केंद्र बनेगा।

1869 में हुआ था निर्माण

शाहजहां बेगम, भोपाल रियासत की शासक ने 1869 में गोलघर का निर्माण किया था, जिसका उपयोग वे अपने कार्यालय के रूप में करती थीं। इसका गोलाकार डिजाइन और 33 दरवाजे इसके नाम को सार्थक करते हैं। पहले गुलशन-ए-आलम के नाम से प्रसिद्ध, इस स्मारक का संरक्षण और उन्नयन संचालनालय पुरातत्व, संग्रहालय और अभिलेखागार और मप्र पर्यटन निगम द्वारा चार करोड़ रुपये की लागत से किया गया है।