18 दिसंबर से मध्य प्रदेश में 16वीं विधानसभा के पहले सत्र की शुरुआत हो जाएगी। यह चार दिवसीय सत्र नवनिर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाने तथा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष पद उम्मीदवार चुनने के लिए रखा गया है।
मध्य प्रदेश में 18 दिसंबर से 16वीं विधानसभा का पहला सत्र शुरू होने वाला है। चार दिनों तक चलने वाले इस सत्र में प्रोटेम स्पीकर गोपाल भार्गव निर्वाचित विधायकों को शपथ दिलाने वाले हैं। सत्र के दौरान विधानसभा अध्यक्ष का चुनाव भी किया जाने वाला है और उन्हें भी प्रोटेम स्पीकर द्वारा शपथ दिलाई जाएगी। अध्यक्ष पद के लिए भाजपा द्वारा नरेंद्र सिंह तोमर का नाम तय किए जाने की बात सामने आ रही है।
कितने विधायक होंगे शामिल
विधानसभा सत्र में शामिल होने के लिए अब तक 210 विधायकों ने पंजीयन करवाया है। विधानसभा प्रमुख सचिव के मुताबिक अन्य नवनिर्वाचित विधायक अपना पंजीयन विधानसभा सचिवालय के स्वागत कक्ष में मौजूद अधिकारियों के पास पहुंचकर करवा सकेंगे।
विधानसभा सत्र की रूपरेखा
विधानसभा सत्र के पहले दो दिन विधायकों को शपथ दिलवाई जाएगी। इसके बाद बुधवार को अध्यक्ष का निर्वाचन किया जाएगा। विधानसभा में कुल 163 सदस्य भाजपा के ही हैं इसलिए निर्वाचन निर्विरोध होने वाला है। भाजपा की ओर से अध्यक्ष पद के लिए नरेंद्र सिंह तोमर का नाम तय किया गया है। तोमर को यह जिम्मेदारी दिए जाने के बाद पहली बार ग्वालियर-चंबल अंचल से कोई व्यक्ति विधानसभा अध्यक्ष के पद पर काबिज होगा। अभी तक ये जिम्मेदारी विंध्य और महाकौशल से संबंधित नेता ही निभाते आए हैं।
कैसे रहेंगे सुरक्षा इंतजाम
दिल्ली लोकसभा के दौरान जो घुसपैठ की घटना हुई है उसने सभी को चिंता में डाल दिया है। यही कारण है कि मध्य प्रदेश विधानसभा सत्र के दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम किए गए हैं। लगभग 1000 पुलिस जवानों को तैनात किया गया है। जो भी विधायक शामिल होने वाले हैं वह सिर्फ एक ही गेस्ट पास जारी कर सकते हैं। विधानसभा परिसर में प्रवेश से पहले और दीर्घा में जाने से पहले भी जांच की जाएगी।
विधायक एक ही गेस्ट पास जारी कर सकेंगे जिस वजह से उनके परिजन या फिर खास लोग उनके साथ नहीं आ सकते हैं। इसी के चलते विधायकों के शपथ ग्रहण को लेकर अलग व्यवस्था की गई है। जो लोग शपथ ग्रहण देखना चाहते हैं वह मीडिया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे माध्यमों का उपयोग कर सकते हैं।
किसे मिलेगा उपाध्यक्ष पद
अध्यक्ष पद के लिए तोमर का नाम तय कर लिया गया है लेकिन उपाध्यक्ष पद को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है। 15वीं विधानसभा के दौरान कांग्रेस के एनपी प्रजापति को अध्यक्ष पद दिया गया था। वाद विवाद के चलते कांग्रेस ने उपाध्यक्ष का पद विपक्ष को ना सौंपते हुए अपनी ही पार्टी के विधायक को दिया था। सत्ता परिवर्तन के बाद विपक्ष को उपाध्यक्ष पद देने की इस परंपरा का पालन भाजपा ने भी नहीं किया था। अब ऐसे में 16वीं विधानसभा का अध्यक्ष चुने जाने के बाद उपाध्यक्ष पद किसे दिया जाता है इसे लेकर फिलहाल स्थिति स्पष्ट नहीं है।
भार्गव ने लिया जायजा
मध्य प्रदेश विधानसभा के प्रोटेम स्पीकर गोपाल भार्गव हैं और उन्होंने 18दिसंबर से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र के लिए की गई व्यवस्थाओं का खुद जायजा लिया। सुरक्षा में तैनात किए जाने वाले अधिकारियों तथा जवानों की जानकारी लेने के साथ उन्होंने अपने हाथों से माइक भी चेक किया। विधानसभा परिसर को कड़े सुरक्षा पहरे से घेर दिया गया है।