पुर्णिया बिहार : सुकरू ऋषिदेव लॉकडाउन में मुंबई, पंजाब और ऋषिकेष में दिहाड़ी मजदूर का काम खोजने गए थें। पर सुकरु को दस दिन से ज्यादा का काम कहीं नहीं मिल सका। इन दिनों सुकरू ऋषिदेव बंगलौर में रहकर घर बनाते हैं। वो राज मिस्त्री के साथ हेल्पर का काम करते हैं।

मुझे सरकारी मदद चाहिए – सुकरु
सुकरु ऋषिकेष बिहार के पुर्णिया जिले के कचहरी बलुआ से हैं। सुकरु ऋषिकेष के पिता का देहांत हो गया है। उनके पिता का नाम स्वर्गीय सुखदेव ऋषिदेव है। इनके तीन बच्चे हैं। दो बच्चे और एक बच्ची।

उन्होंने बताया, “मैंने अपनी बच्ची का विवाह काफी मेहनत से की है सर। मैं काफी गरीब हूं। सरकारी आवास योजना से मेरा घर नहीं बन पा रहा है। मुझे सरकारी मदद की जरूरत है। मैंने सरकार को अर्जी डाली है। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है।”

लॉकडाउन में सुकरू महाराष्ट्र के पोस्ट हयातनगर, हिंगोली में कई दिन रहकर काम किया। पर इससे वो आर्थिक तंगी से उबर नहीं सके। सरकार से सुकरू ऋषिदेव का गुहार है कि सरकारी आवास योजना के तहत मेरा घर बन जाए।

सरपंच के पास जाकर सुकरू ऋषिदेव ने तीन बार सरकारी आवास योजना को लेकर फॉर्म भरे । पर उन्हें अब-तक किसी तरह का राहत नहीं मिल पायी है। सुकरू ऋषिदेव ने बताया, “मैं कर्जा लेकर मिट्टी का कच्चा घर बनाया था सर, पर बारिश में टूट-टूट जाता है। बारिश में प्लास्टिक से हमेशा खुद को बचाना पड़ता है सर। मेरा कोई नहीं सुन रहा है सर।” सुकरू ऋषिदेव इन दिनों बंगलौरू में रहकर दिहाड़ी मजदूरी करते हैं।