भोपाल: अधिकारियों की लापरवाही कहिए ये फिर सिस्टम का फेल्योर. लेकिन इसका हर्जाना आमजन को भुगतना पड़ सकता है. करीब 9 लाख क्विंटल अनाज, जिससे की पूरे मध्य प्रदेश के लोगों का एक महीने तक पेट भरा जा सकता था, वो सरकारी गोदामों में सड़ गया है. यहां तक कि ये अनाज अब पशुओं के चारा लायक भी नहीं रहे. लोकसभा में दिए गए एज जवाब के मुताबिक यह घटना उस देश की है, जो ग्लोबल हंगर इंडेक्स में 105वें स्थान पर है और ऐसे राज्य की यह घटना है, जहां 5 साल से कम उम्र के 26 फीसदी से अधिक बच्चे कम वजन के हैं. लोकसभा में एक उत्तर के अनुसार, यह देश में सबसे खराब स्थिति है.

सड़े हुए अनाजों में 90 फीसदी से अधिक गेहूं
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुातबिक मप्र राज्य नागरिक आपूर्ति निगम ने सड़े हुए खाद्यान्नों को बेचने के लिए टेंडर जारी करनी पड़ा ताकि कम से कम लागत का कुछ हिस्सा वसूल हो सके. इसमें 90 फीसदी से अधिक गेहूं हैं. इस तरह के टेंडर 2024 में 13 मार्च से 5 नवंबर के बीच कम से कम चार बार जारी किए गए थे. निगम ने इस तरह से लगभग 8.9 लाख क्विंटल खाद्यान्न बेचा, कुछ बासी चावल को छोड़कर, वह भी कम मात्रा में बेचा गया था.

अनाजों का इंश्योरेंस कराने का निर्देश
खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री, गोविंद सिंह राजपूत ने टीओआई को बताया, “यह एक पुराना मामला है, जो अभी मेरे संज्ञान में आया है. मैंने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि ऐसी घटना फिर से नहीं होनी चाहिए. मैंने यह भी आदेश दिया है कि ऐसी चीजों को कवर करने के लिए बीमा कंपनियों को शामिल किया जाना चाहिए. हम एक नई बीमा पॉलिसी बना रहे हैं, जिसमें ऐसी परिस्थितियों के लिए कवरेज शामिल है. इस बीच मैंने यह भी निर्देश दिया है कि समय-समय पर निरीक्षण किया जाना चाहिए और सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए जो भी जिम्मेदार हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए.”

करीब 200 करोड़ का हुआ नुकसान!
सूत्र ने कहा, “इन बासी खाद्यान्नों को बेचने से सरकार को कितना नुकसान हुआ, यह कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि जिस वर्ष इसे खरीदा गया था, उस वर्ष खरीद की लागत, भंडारण लागत, परिवहन लागत और वह श्रेणी जिसके तहत इसे बेचा गया था. कुल मिलाकर, मोटे अनुमान कहते हैं इन 9 लाख क्विंटल से लगभग 200 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.”

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