जमीन में 3.5 किमी लंबी दरार लगातार बढ़ रही; महीने भर पहले धंसने लगी थी सड़कें
आइसलैंड के ग्रिंडाविक में सबसे ज्यादा आबादी वाले हिस्से में सोमवार को ज्वालामुखी फट गया। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, देश के मौसम विभाग ने बताया कि वोल्केनो फटने से पहले यहां पिछले एक महीने में हजारों भूकंप दर्ज किए गए।
ग्रिंडाविक में जमीन फटने से करीब 3.5 किलोमीटर लंबी दरार पड़ चुकी है, जो लगातार बढ़ रही है। आइसलैंड की राजधानी रेक्येविक से यह सिर्फ 40 किलोमीटर दूर है। इस दरार से लावा लगातार 100-200 स्क्वायर मीटर प्रति सेकंड की दर से बह रहा है।
4 हजार लोगों को हटाया गया
प्रशासन ने लोगों को इस इलाके के आसपास भी जाने से मना कर दिया है। आइसलैंड के रेकयेन्स पेनिनसुला में पिछले महीने ही सड़कें धंसना शुरू हो गई थीं। भूकंप की चेतावनियों के बीच वहां रह रहे करीब 4 हजार लोगों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया गया था।
देश के मौसम विभाग के मुताबिक, नवंबर में ग्रिंडाविक की जमीन के नीचे 10 किमी लंबाई में लावा बह रहा था। यह सतह से करीब 800 मीटर नीचे था। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, पिछले 2 साल में इस क्षेत्र में करीब 4 ज्लावामुखी फट चुके हैं।
मार्च 2021 में भी इसी इलाके में एक बड़ा ज्वालामुखी विस्फोट हुआ था। तब दरार से करीब 6 महीने तक लावा बहता रहा था। इसके बाद अगस्त 2022 में फिर एक विस्फोट हुआ, जिसका लावा तीन हफ्तों तक बहा था।
आइसलैंड में हैं 140 ज्वालामुखी
आइसलैंड की आबादी करीब 4 लाख हैं और यहां 140 ज्वालामुखी हैं। इनमें से करीब 33 एक्टिव वोल्केनो हैं। देश दो टेक्टोनिक प्लेटों पर बसा है। ये प्लेट्स खुद समुद्र के नीचे मौजूद एक पर्वत श्रृंखला से बंटी हुई है। इस पर्वत से लगातार मैग्मा निकलता रहता है।
राहत की बात ये है कि आइसलैंड में पिछले कुछ दिनों में आए भूकंप के झटकों का फिलहाल यहां के सबसे बड़े कटला ज्वालामुखी पर कोई असर नहीं पड़ा है। न्यूयॉर्क टाइम्स के मुताबिक, वैज्ञानिकों का मानना है कि ये ज्वालामुखी भी जल्द ही फट सकता है। काटला में 1721 के बाद से अब तक 5 विस्फोट हुए हैं। ये 34-78 साल के अंतराल पर होते हैं। काटला में आखिरी विस्फोट 1918 में दर्ज किया गया था।
ज्वालामुखी क्या होता है?
ज्वालामुखी धरती की सतह पर मौजूद प्राकृतिक दरारें होती हैं। इनसे होकर धरती के आंतरिक भाग से पिघला हुआ पदार्थ जैसे मैग्मा, लावा, राख आदि विस्फोट के साथ बाहर निकलते हैं। ज्वालामुखी पृथ्वी पर मौजूद 7 टेक्टोनिक प्लेट्स और 28 सब टेक्टोनिक प्लेट्स के आपस में टकराने के कारण बनते हैं। दुनिया का सबसे एक्टिव ज्वालामुखी माउंट एटना इटली में है।