मध्यप्रदेश: ज़िला रीवा के गाँव कन्नौज के रोहित वर्मा पिता श्रीनिवास वर्मा माँ तिर्थी वर्मा जो एक गरीब परिवार से सम्बंध रखते हैं जो पशु वह बकरे पाल कर अपना जीवन यापन करते है। रोहित ने बताया मेरा आपना बकरा ख़ूब मोटा-ताजा और तंदरुस्त है। उसे पर अल्लाह, मोहम्मद वह 786 लिखा हुआ है, अच्छी नस्ल का है। कुर्बानी के सभी नियमों को पूरा करता है। देखने में भी खूबसूरत है। बकरे के दाम भी आपने बाजिव रखे हैं और बकरे में इन खूबियों के साथ ही आप उसका प्रचार सोशल मीडिया पर कर रहा हूँ तो फिर जल्द ही मेऱे बकरे बिकने में परेशानी नहीं आएगी। बकरों में तमाम खूबी होते हुए भी आपको बाजार-हाट के चक्कर लगाने होंगे। बकरीद पर लगने वाला कुर्बानी के बकरों का ऐसा बाज़ार है जो साल में एक बार आता है, लेकिन पूरे साल का धंधा चंद दिनों में ही हो जाता है। ख़ास बात ये है कि इस बाज़ार में 12 हज़ार रुपये से लेकर एक-एक लाख रुपये की क़ीमत तक के बकरों की बिक्री आराम से हो जाती है। पशुपालक रोहित वर्मा भी पूरे साल इसी बाज़ार के इंतज़ार में रहते हैं। लेकिन गोट एक्सपर्ट की मानें तो सिर्फ़ बकरा पालने से ही काम नहीं चलेगा। बकरा वक़्त से अच्छे दाम पर बिक जाए इसलिए यह ज़रूरी है कि बकरों की मार्केटिंग भी की जाए.ऐसा कहना है रोहित के पिता श्रीनिवास का

बाजार में बकरों की खूबियों को बताया जाए. बाज़ार में आप अच्छे बकरे बेच रहे हैं इसके लिए फार्म का प्रचार किया जाए और अब तो यह काम सोशल मीडिया पर बहुत आसानी से हो जाता है।

जानें इस बारे में क्या कहते हैं फार्म के डायरेक्टर मनीष रोहित वर्मा ने मीडिया के माध्यम से बताया कि साइंटीफिक तरीके से बकरी पालन करने के साथ ही यह भी ज़रूरी है कि आप उसके लिए अच्छा बाज़ार तलाशे। या फिर बकरे-बकरी के ग्राहकों को अपने फार्म तक लेकर आएँ। क्योंकि आपसे 50-100 किमी दूर बैठे ग्राहक को नहीं पता कि आपके फार्म की क्या क्वालिटी है और न ही आपका फार्म सड़क किनारे किसी दुकान-शोरुम की तरह से है कि आते-जाते किसी की भी निगाह उस पर जाएगी। यही कारण है कि रोहित ने मीडिया का सहारा लिया प्रचार के लिए।

रोहित ने बताया सोशल मीडिया के ज़माने में अपने कारोबार का प्रचार करना बहुत ही आसान है। परंतु रोहित को इतनी अच्छी तरह से सोशल मीडिया चलाना नहीं आता। लोगों ने बताया की फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप पर बकरे और बकरी का फोटो डालकर दो-चार लाइन में उसकी खूबियों को लिखना है। फार्म की फोटो डालकर यह बताना है कि इस जगह बकरे और बकरियों का फार्म है। यहाँ बकरे-बकरी बिकते हैं। आज इस ज़रूरत को समझते हुए कई अपने संस्थान में ट्रेनिंग के लिए आने वाले किसान और पशुपालकों को भी यह सिखाते हैं।

रोहित बोले ई ख़बर मीडिया पर बकरे का कर रहे प्रचार

रोहित वर्मा का कहना है कि अगर आप बकरा बेच रहे हैं तो उसकी खूबियाँ अलग होंगी और बकरी बेच रहे हैं तो उसकी अलग। जैसे बकरा बेचना है तो उसके बारे में आपको बताना होगा कि वह किस नस्ल का है। उसकी उम्र बतानी होगी। उसका वज़न कितना है। प्योर नस्ल है तो वह बताना होगा, नहीं तो उसके मां-बाप के बारे में पूरी डिटेल शेयर करनी होगी। अगर बाज़ार में ईद के लिए बकरे खरीदे जा रहे हैं तो आपको उसके दांत कितने हैं या भी बताना होगा। बकरा चोटिल नहीं है और न ही उसके पैर, कान, पूछ कहीं से भी कटे हैं। उसके सींग भी कहीं से नहीं टूटे हैं। कुल मिलाकर बकरे की खूबसूरती बयाँ करनी होगी। क्योंकि चोटिल और कहीं से कटे बकरे की कुर्बानी नहीं होती है।

रोहितकी अपील गरीब परिवार की करें मदद

रोहित ने बताया कि उसके माता-पिता कृषि करते हैं उसके माता-पिता ने 2 साल पहले से बकरी पालने का काम शुरू किया जिससे चार बकरा हैं और उन बकरों को भेजने के लिए रोहित ने मीडिया का सहारा लिया तथा रोहित ने बताया कि पूरे परिवार का जीवन यापन बकरों की बिक्री से होता है तथा जिसे भी बकरा चाहिए वह हमसे संपर्क कर सकता है उचित दाम में दे दिया जाएगा तथा वह निचे दिए नंबर पर संपर्क करें 8817829642,8459053944 तथा गरीब परिवार के बकरे बेचने में उनकी मदद करें।

ई खबर मीडिया के लिए हरियाणा ब्यूरो देव शर्मा की रिपोर्ट